बिहार - आज़ादी के पहले और आज़ादी के बाद भी पिछड़ा हुआ बिहार अब शायद सकून की सांश लेने को उतावला हो गया है क्योकि अभी तक बिहार के लिए कोई मुख्यमंत्री नहीं मिले थे जो बिहार के लिए सोंचे, नितीश कुमार पहले मुख्यमंत्री है जो बिहार के लिए सोंचते है। इन्होंने साढ़े चार साल में वो कर दिखाया जो आज़ादी के बाद से आजतक नहीं हो पाया था, आज बिहार में हर जगह सड़के आपको मिल जाएगी जहाँ आपको जाना है, Low & Order आज बहुत अच्छे है, अब वो डर नहीं है जो पहले हुआ करता था, बिहार की प्रति व्यक्ति आय में भी इजाफा हुआ है तो लोगो का जीवन स्तर भी बढ़ा है अब रोज़गार के ज्यादा अवसर बढ़ गए है, अब बड़ी बड़ी कंपनियों का रुझान भी बिहार कि तरफ होने लगा है शायद निकट भविष्य में वो अपनी फेक्टरियाँ लगाये। यह कितनी अच्छी बात है की एक सर्वोच कुर्शी पर बैठा हुआ व्यक्ति जब अच्छी सोंच बनता है तो लोग उसका अनुकरण करने लगते है। आज़ादी के पहले से पिछड़ा हुआ बिहार आज खरगोश की रफ़्तार से आगे निकल रहा है, जहा दुसरे राज्यों में बिहारी शब्द गाली के रूप में इस्तेमाल किया जाता था अब उनकी भी शोंच बिहार के प्रति सकारात्मक है अब उनका भी ध्यान बिहार के तरफ लगा हुआ है। इन पांच वर्षो में हमारे मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार ने बिहार के लोगो को जो इज्ज़त दिलाई वह सराहनीय है। अब हमारे बिहारी मजदुर दुसरे राज्यों को नहीं जाते है मजदूरी करने के लिए क्योकि अब उनको रोज़गार यही मिल रहा है, अब उन राज्यों का क्या होगा जो हमारे ही मजदूरों से मजदूरी कराकर अपने जीवन स्तर को ऊँचा किये थे, क्या वो अपने मजदूरी कर पायेगे, शायद नहीं ? तब उनकी आय कम होगी और उनका जीवन स्तर भी निचे जायेगा। इस तरह परिवर्तन हो रहा है और बिहार आगे बढ़ रहा है। अभी केवल मजदूरों का पलायन रुका है तो बाकि राज्यों की स्थितिया ख़राब होने लगी है। अगले पांच वर्षो में अगर मुख्यमंत्री शिक्षा के तरफ ध्यान देते है और यहाँ पर इंजीनियरिंग,मेडिकल कॉलेज और तरह के उच्च शिक्षा के लिए कॉलेज बहुत ज्यादा तायदाद में खुलता है तो फिर छात्रों का पलायन रुक जायेगा और महारास्ट एवं साऊथ इंडिया का क्या हस्र होगा, आज बिहार के पैसो से वह राज्य अपने को धनवान समझते है। यह परिवर्तन लाये है हमारे मुख्यमंत्री नितीश कुमार, आज पटना महानगर का रूप लेता जा रहा है, यहाँ की जनसँख्या बीस लाख से भी ज्यादा की हो गई है, चौड़ी सड़के बन रही है, फ्लाय ओवर ब्रिज,ऊँची ऊँची इमारते बन रही है, जितने भी सरकारी दफ्तर है वो नए आकर ले रहे है, सडको पर गाडियों का जो सिलसिला शुरू होता है तो ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेता, लोगो को घंटो इंतजार करना पड़ता है सड़क पार करने के लिए। आज आप पटना के किसी भी कालोनी में जाये तो आपको खुबसूरत सा पार्क मिलेगा जहा आप अपने लोगो के साथ कुछ समय व्यतीत कर सकते है, यह परिवर्तन हुआ है बिहार में।
apka lekh bahut achcha laga
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