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Thursday, April 8, 2010

कैसी सोंच

मै अजय केशरी, मेरा जन्म स्थान डुमराँव है जो की अब बक्सर जिला में पड़ता है पहले यह शाहाबाद जिला में पड़ता था, यहाँ के लोग अक्सर कमाने या मेहनत मजदूरी के लिए कलकत्ता जाते थे, मै छोटा था अक्सर लोगो से यह बाते सुनता था की उनके घर के लोग कलकत्ता गए है कमाने के लिए, हर दुसरे घर के लोग कलकत्ता ही जाते थे पैसा कमाने के लिए, लेकिन अब सब कुछ बदला हुआ है, अब लोग कलकत्ता नहीं जाते, बल्कि वो लोग अब गुजरात, पंजाब, महारास्ट, दिल्ली जाते है, आख़िर कलकत्ता या पछिम बंगाल के हालात ऐसे बदल क्यों गए की लोग मेहनत मजदूरी करने के लिए अब कलकत्ता या पछिम बंगाल के तरफ रुख नहीं करते है। क्या अब वहा रोजगार नहीं है ? क्या वहा के जितने कल-कारखाने थे सब बंद पड़ गए हैं ? वहा तो गरीबो की पार्टी सत्ता में है, बामपंथी पार्टी की सरकार आज २५ साल से सत्ता में है फिर भी गरीब लोग वहा मेहनत मजदूरी करने के लिए नहीं जाते है ? आख़िर इन २५ वर्षो में वामपंथी सरकार ने ऐसा क्या किया की अब वहां रोजगार नहीं है,और वहां से गरीबो का ही पलायन हो गया?क्या वो जुट मिले,रेडिमेड गारमेंट्स की बहुत सारी फैक्टरियां,चीनी मिले, चमड़े की फैक्टरियां, जूते की फैक्टरियां, मछली का बहुत बड़ा कारोबार, क्या यह सब बंद पड़ गया है ? शायद हां, तभी तो लोग वहा जाना नहीं चाहते है। क्या वामपंथियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, उनके राज्य का विकास कैसे होगा, राज्य की आमदनी कैसे बढेगी, क्या केंद्र के दान पर ही आश्रित रहना है क्या कल-कारखाने , फेक्टरियो में यूनियन नेता होना जरूरी है ? शायद हां, वह मजदूरों का नेता केवल मजदूरों के हक के लिए बात करे, न की किसी पार्टी के बहकावे में आकार फेक्टरी को ही बंद न करादे, शायद आज यही हालात पैदा हो गए है पछिम बंगाल में, तभी तो सभी फेक्टरिया बंद हो गयी है और मजदूर वहा से पलायन कर दूसरे राज्य को जा रहे है। इसपर वामपंथी सरकार को ध्यान देना चाहिए। उद्योगपति, इनके लिए किसी भी राज्य में उद्योग लगाना आसन है , बंगाल की फेक्टरी बंद होगी गुजरात में लगायेंगे लेकिन मजदूर तो मारे जायेगे, उनके बच्चो की परवरिश कैसे होगी, राज्य आगे कैसे बढेगा ? क्या वामपंथी अपने राज्य अपने देश के प्रति कौन सी सोच रखते है। जब की यह देश, वह राज्य जिसमे वह रहते है, यहाँ की धरती, यहाँ की आबोहवा, यहाँ के लोग सबकुछ तो उनका है।

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