Wednesday, July 21, 2010

बढ़ता तापमान बिहार विधान सभा का

आज दिनांक २०/०७/२०१० दिन मंगल वार को बिहार विधान सभा का तापमान एकाएक ऐसा बढ़ा कि हमारे माननीय सदस्य गण अपना आपा खो दिए और बिहार के चहरे पर एक ऐसा कालिख पोत दिए जो मिटाने से भी नहीं मिट सकती। ये वो सदस्य गण है जिन्हें जनता ने अपना अमूल्य वोट (विश्वास) देकर विधान सभा में भेजा था, शायद उस जनता का भी इन लोंगो ने कद्र नहीं किया, अगर ये कद्र किये रहते तो ये घटना नहीं घटती और लोकतंत्र के चहरे पर कालिख नहीं पुतता। पढ़े- लिखे और सभ्य लोंगो के बीच में जो भी बहस होती है वह मर्यादा के अन्दर होती है, हाँ अनपढ़ गंवार और असभ्य लोंगो के बीच में जो बहस होती है वह मर्यादित नहीं होती है इसीलिए वो मार-पिट, गाली-गलौज तक कि सीमाएं पार कर जाते है। यह उनके लिए छम्य है क्यों कि वो अनपढ़, गंवार और असभ्य लोग है। लेकिन बिहार विधान सभा में जो घटना घटी वह यही जाहिर करता है इस सभा में भी असभ्य लोग है, क्यों कि सभ्य लोंगों कि यह लड़ाई नहीं थी। बात इतनी बड़ी नहीं थी जिसके लिए इतनी बड़ी घटना हुई। बात है ११४१२ करोड़ सरकारी रुपये कि निकासी का जिसका लेखा-जोखा सरकार के पास नहीं दिया गया है तथा उच्च न्यायालय ने सी बी आई जाँच के आदेश दे दिए है। अभी जाँच चल रही है जो लेखा-जोखा माँगा जायेगा वह वर्तमान सरकार देगी, तब जो न्याय सामने आएगा उस पर विपझ सरकार से त्याग पत्र मांगे।
बिधान सभा में ऐसी घटना घटी क्यों? क्या वर्तमान में जो विधान सभा चुनाव होना है उसको ध्यान में रखकर इस घटना को अंजाम दिया गया ताकि लोंगो का ध्यान आकृष्ट हो शके। यह तो राजनीत का सबसे घिनौना चेहरा सामने आया है। अगर वोट कि राजनीत को लेकर यह खेल खेला गया है तो पब्लिक इतनी बेवकूफ नहीं है जो इन बातों को नहीं समझती है।

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