Saturday, August 7, 2010

बिहार का चुनावी जंग


बिहार में चुनाव का शंखनाद हो चूका है सभी पार्टियाँ अपने-अपने तरीके से शतरंज कि विशात पर मोहरे बिठाने शुरू कर दिए है। शह और मात का खेल शुरू होने में अभी दो महिना बाकी, लेकिन अभी से सभी पार्टियाँ एक दुसरे से श्रेष्ट साबित करने पर तुली हुई है। भावी उम्मीदवार अपने-अपने छेत्र में अपने स्थिति का आकलन करने में लगे हुए है। दल बदलने कि राजनिति जोरो पर है एक दुसरे के उम्मीदवार को तोड़ने कि पुरजोर कोशिश शुरू है, भावी उम्मीदवारों को हर तरह के प्रलोभन दिए जा रहे है इसमे ऐसी भी पार्टियाँ है जिसे पिछले चुनाव में जनता ने नकार दिया था, अब वो नये-नये समीकरणों के साथ चुनावी जंग में अपने उम्मीदवारों को उतार रहे है। कुछ भावी उम्मीदवार ऐसे भी है जो अपनी गाड़ी में सभी पार्टियों का झंडा रखें है लेकिन डंडा एक ही है, जिस पार्टी के दफ्तर में जाना होता है उस पार्टी का झंडा उसी डंडे में लगा लेते है जिस डंडे में कुछ देर पहले किसी और पार्टी का झंडा था। कुछ भावी उम्मीदवार ऐसे भी है जिन्हें उनकी पार्टी अगर टिकट नहीं दे रही है तो वो दुसरे पार्टी कि सदस्यता ग्रहण कर लेते है क्यों कि दूसरी पार्टी उनको टिकट देने को बचनबद्ध है। कुछ पार्टियाँ दुसरे पार्टी के ऐसे नेता को तोड़ रही है जिनके हाथ में वोट बैंक है। कुछ उम्मीदवार अपने पार्टी से नाराज़ चल रहे है इसलिए दूसरी पार्टियों कि सदस्यता ग्रहण कर रहे है। ऐसा दृश्य चुनाव के समय ही दिखाई देता है। साम-दाम-दंड-भेद से परिपूर्ण हमारे भावी उम्मीदवार चुनावी जंग में दो-दो हाथ करने कि तैयारी पूरी कर ली है, इंतजार है तो बस रेफरी के सिग्नल का पिछला आम सभा चुनाव शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुआ था क्यों कि उस समय राष्टपति शासन था पिछले पांच सालों में करीब ४९ हजार अपराधियों को न्यायलय द्वारा शज़ा सुनाई गई है इसलिए इस बार का भी चुनाव शांतिपूर्ण ही होगा बिहार में ऐसे तो छेत्रिय एवं राष्ट्रिय स्तर कि पार्टियाँ है लेकिन ज्यादा बोल-बाला छेत्रिय पार्टी का ही है अगला जो विधानसभा चुनाव होने जा रहा है उसमे दो पार्टियों के बीच ही सीधा संघर्ष देखने को मिलेगा, पहला जनता दल यु तथा दूसरा आर.जे.डी. , जनता दल यु के साथ भारतीय जनता पार्टी का गठबंधन है तथा आर.जे.डी का लोक जनशक्ति पार्टी से विगत पंद्रह साल तक आर.जे.डी कि सरकार बिहार कि सत्ता में भागीदारी निभा चुकी है, पिछले पांच साल से जनता दल यु एवं बी.जे.पी कि सरकारअब किस पार्टी से किसका चुनावी गठजोर होता है यह समय बताएगा
आज़ादी के बाद से जीतनी भी सरकारें सत्ता में आई है उन में से किसी ने भी बिहार के दशा और दिशा को नहीं बदला है। चाहे वह कांगेस कि सरकार हो, जनता पार्टी कि सरकार या रास्ट्रीय जनता पार्टी कि सरकार हो, किसी ने भी बिहार के प्रति सकारात्मक सोंच नहीं बनाई जिसका खामियाजा आज बिहार को भुगतना पड़ रहा है। आज बिहार के विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए दुसरे राज्यों को जाते है। बिहार में रोज़गार नहीं होने के कारण यहाँ से पढ़े लिखे या मजदूरों का पलायन दुसरे राज्यों में होता है। उत्तर बिहार में हर साल बाढ़ आती है लेकिन उसका सही समाधान नहीं होने के कारण करोडो रुपये का नुकसान बिहार को उठाना पड़ता है, वहाँ कि जनता का जो नुकसान होता है सो अलग। वर्तमान में सत्ता पर आसीन जनता दल यु और भारतीय जनता पार्टी कि सरकार कि सोंच सकारात्मक है, यह बिहार के लिए सोंच रही है विगत पांच वर्षों में इनकी सरकार ने सड़के बनवाई, लो एंड ऑडर दुरुस्त हुए, यानी कानून का राज कायम हुआ, कुछ कॉलेज खुले है कुछ कॉलेज खुलने कि स्थिति में है, मजदूरों का पलायन कुछ हद तक कम हुआ है। आगे किसी कि भी सरकार बने उसको बिहार के लिए सोंचना पड़ेगा, बिहार के उन्नति के लिए सोंचना पड़ेगा, मजदूरों और पढ़े-लिखे लोगों के पलायन को रोकने के लिए रोज़गार बढ़ाने के उपाय सोंचना पड़ेगा, विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के लिए बहुत सारे युनिवरसीटी एवं कॉलेज खोलना पड़ेगा, लो एंड ऑडर और कड़ा करना पड़ेगा, उत्तरी बिहार को बाढ़ कि विभीषिका से बचाने के लिए ठोस कदम उढ़ाने पड़ेंगे, बांध को मजबूत बनाना पड़ेगा, डैम बनाने होगे ताकि जो पानी कहर बनकर आता है उससे सिंचाई का काम लिया जाय तथा बिजली का उत्पादन किया जाय। बाढ़ का कहर उत्तरी बिहार में हर साल आता है लाखों लोग उस बाढ़ से प्रभावित होते है हजारो जाने जाती है जान-माल कि छति हर साल होती है, वहाँ के रहने वाले लोग दोषी नहीं है यह सरकार कि गलती है कि उसने इस पर ध्यान नहीं दिया, अगर ध्यान दिया गया होता तो आज उत्तर बिहार में बाढ़ नहीं आता।
अगले चुनाव में नितीश कुमार कि सरकार रहे या न रहे, लेकिन नितीश कुमार ने जो बुनियाद डाली है जो बिहार के लिए सपने देखे है उसी का अनुसरण सभी को करना पड़ेगा।

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