Saturday, August 21, 2010

"विकास" ही मुख्य मुद्दा होगा बिहार विधान सभा चुनाव में


बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और जनता दल (युनाइटेड) के बीच विकास कार्यो का श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई है। सोनिया गांधी ने बिहार दौरे में कहा कि केंद्र द्वारा अब तक सबसे अधिक वित्तीय सहायता दिए जाने के बयान पर राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पलटवार करते हुए कहा कि बिहार को हक से ज्यादा वित्तीय मदद नहीं मिली।

यह खबर दैनिक हिंदुस्तान के पटना संस्करण में दिनांक २०/०८/२०१० को प्रकाशित हुआ है, यानी कि केंद्र भी इस बात से सहमत है कि बिहार में विकास हुआ है। यह विकास आज़ादी के बाद से केंद्र में और राज्य में कांग्रेस कि सरकार रहते हुए क्यों नहीं हो पाया था ? या फिर कांग्रेस द्वारा समर्थित राष्टीय जनता पार्टी पंद्रह साल तक बिहार कि सत्ता में रही तब विकास क्यों नहीं हुआ ? जो आज बिहार के विकास को लेकर तरह तरह कि बयानबाजी हो रही है और सभी पार्टियाँ इसका श्रेय लेने पर तुली हुई है।

बिहार के लिए यह एक अच्छा संकेत है। अगला बिहार विधान सभा चुनाव में सभी पार्टियों का "विकास" ही मुख्य मुद्दा रहेगा। भले वो सत्ता में आने पर विकास करे या ना करे ?
सही बात तो यह है कि बिहार में विकास का श्रेय किसी भी पार्टी को नहीं जाता है बल्कि जिसके शासन काल में यह विकास कार्य हुआ है सिर्फ उसी को इसका श्रेय जाना चाहिए ? केंद्र से सभी के शासनकाल में वितीय सहायता मिली थी लेकिन विकास कार्य नहीं होने के कारण हर बार फंड लौट जाता था। फिर कांग्रेस बिहार के विकास पर अपनी दावेदारी क्यों थोपना चाहती है ? विकास केवल पैसा देने से हो जाता तो आज कोई भी राज्य पिछड़ा नहीं होता ? पिछड़ा होने का एक ही कारण है वर्तमान सरकार में कार्य करने कि इक्छाशक्ति का न होना। पिछली जो भी सरकारें बिहार में शासन कि उनमे विकास को लेकर कोई इक्छाशक्ति नहीं थी। वर्तमान में जो सरकार बिहार में शासन कर रही है उसमे विकास को लेकर इक्छाशक्ति है, और उसने पांच वर्षो में जो कार्य किया है वह दिखाई देता है। अगर दिखाई नहीं देता तो सोनिया गाँधी का बिहार के विकास को लेकर बयान नहीं आता। यह अच्छी बात है कि वर्तमान सरकार के पास बिहार के विकास को लेकर एक सपना है जिस पर वह अमल भी कर रहा है, जहाँ सपने साकार होते है परिणाम वही नज़र आता है। हमारे बिहार के माननीय राजनेताओं और सांसदों (विपझ) को बिहार में विकास नज़र नहीं आ रहा है ? उनको नज़र आ रहा है वर्तमान सरकार द्वारा सरकारी खजाने कि लूट। भारत में ऐसा कौन राजनेता है जो सत्ता में रहने पर जनता के पैसे को नहीं लूटा है ? सभी ने लूटा है अंतर यह पड़ता है कि एक काम कर के पैसे लूटता है और एक बिना काम किये ही जनता का पैसा लूट लेता है। (डाक्टर राम मनोहर लोहिया या कर्पूरी ठाकुर जैसे राजनेता नहीं है) इससे जनता के सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता है ? फर्क पड़ता है तब जब जनता उसके शासनकाल में परेशान होती है, उसके जान-माल कि छति होती है, उसके अधिकारों का हनन होता है।
आज़ादी के बाद से त्रस्त बिहार अपनी पहचान खो दिया था अब धीरे-धीरे अपनी गरिमा वापस पा रहा है।

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