Tuesday, October 26, 2010

भीड़ जुटाता उड़न खटोला (बिहार विधान सभा चुनाव)


बिहार विधान सभा चुनाव में उड़न खटोला (हेलीकाप्टर) का प्रयोग धड़ल्ले से सभी पार्टियाँ अपने चुनाव प्रचार में कर रही है, चाहे वो कांग्रेस पार्टी हो या राजद, लोजपा हो या बीजेपी, जनता दल यू हो या बसपा ये सभी पार्टियों ने चुनाव से पहले ही चुनाव प्रचार के लिए उड़न खटोले (हेलीकाप्टर) कि व्यवस्था या बुकिंग कर लिए थे। हेलीकाप्टर के प्रयोग से हमारे राजनेताओं को दो फायदे मिले है , पहला .... ज्यादा से ज्यादा सभाओं को संबोधित करने का समय मिला, दूसरा.... ग्रामीण छेत्रो में हेलीकाप्टर देखने के लिए आये लोंगो की भीड़ क्यों की आज हेलीकाप्टर भीड़ जुटाने का एक सशक्त माध्यम बन कर उभरा है। आज के नेतावों में अब आकर्षण नहीं रहा जो भीड़ जुटा सके। पहले नेता के नाम पर लोंगो की भीड़ जुटती थी और वो नेता मोटर गाड़ी से यात्रा कर अपनी सभाओ को संबोधित करते थे ऐसा नहीं की आज विधान सभा का छेत्रफल बडा हो गया है या भारत की सीमाएं बढ़ गई है जो चुनाव प्रचार के लिए हेलीकाप्टर (उड़न खटोला) की जरुरत बनी है बल्क्ति हुआ ये है की ना ही विधान सभा का छेत्रफल बढ़ा है ना ही भारत की सीमाएं बढ़ी है बल्कि हमारे राज नेताओं ने अपने आकर्षण को खो दिया है अब उनमे वो आकर्षण या भाषण में वह दम नहीं रहा जो लोंगो को प्रभावित कर सके या उनके नाम पर भीड़ जुट सके आज यही कारण है कि सभी पार्टियों को लोंगो की भीड़ जुटाने के लिए हेलीकाप्टर (उड़न खटोला) ,फिल्म अभिनेता या क्रिकेट खिलाडी कि जरुरत पड़ती है ताकि ज्यादा से ज्यादा भीड़ को जुटाया जा सके
अब वैसे भीड़ को जुटाने से फायदा क्या जो हेलीकाप्टर देखने या फिल्म अभिनेता को देखने आई है हेलीकाप्टर देखने वाली भीड़ हेलीकाप्टर देखेगी वो नेता द्वारा दिए हुए भाषण पर ध्यान नहीं देगी हाँ फिल्म अभिनेताओं से एक फायदा और होता है उनके नाम पर लोंगो कि भीड़ भी जुटती है और उनके द्वारा दिए भाषण को जनता सुनती भी है लेकिन अभिनेतावों द्वारा दिए हुए भाषण का छनिक ही प्रभाव लोंगो के मन मस्तिष्क पर रहता है क्यों कि वह राजनेता नहीं है बल्कि फिल्म अभिनेता है
हमारे राजनेता बिहार जैसे गरीब प्रदेश में हेलीकाप्टर (उड़न खटोला) का इस्तमाल कर वैसे गाँव के लोंगो के बीच भाषण देने पहुंचते है जहाँ सही तरीके से तन पर कपडा नहीं है हीं पेट में अन्न का दाना, मेहनत मजदूरी कर एक वक्त का खाना जुटा पाना जहाँ मुस्किल है वैसे जगहों पर ये राजनेता हेलीकाप्टर का इस्तेमाल करते है। क्या ये गरीबो का या गरीबी का माखौल नहीं उड़ा रहे है। यह गरीबी और पिछड़ापन ही है जहाँ कोसो दूरी तय कर गाँव के लोग हेलीकाप्टर देखने आते है और विडम्बना यह की भीड़ को देख राजनेता यह समझते है कि भाषण सुनने के लिए लोग आये है।

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