
फिर आता है २००५ का बिहार विधान सभा चुनाव। धन्य हो चुनाव आयोग की टीम धन्य हो श्री के.जे.राव जिनकी सक्रियता के चलते बिहार में निष्पच्छ चुनाव हो सका और एनडीए की सरकार सत्ता में आ सकी। अगर चुनाव आयोग के पहल में कही भी थोड़ी सी भी त्रुटी होती तो फिर से आरजेडी की सरकार सत्ता पर काबिज़ होती और बिहार में फिर वही सब होता जो पिछले पंद्रह सालों तक होता रहा था।
बिहार विधान सभा चुनाव २००५ में एनडीए की सरकार श्री नितीश कुमार की अगुवाई में बनी। पूरी तरह से बर्बाद बिहार को एक नया आयाम देने के लिए नितीश कुमार ने कमर कस ली। उन्होंने बिहार के लिए कुछ सपने पाल रखे थे और फिर उन सपनो को साकार करने में जुट गए। वह पिछली सरकार की नीतियों पर न चल कर खुद की बनाई नीतियों पर चलना शुरू किया। जिसमे शामिल था बिहार में कानून का राज, ताकि लोग अमन चैन से जीवन बसर कर सके, सड़कें जो पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी उसे ठीक करना, सरकारी हस्पतालों की जर्जर स्थिति से ऊपर उठाना, आधी आबादी (महिला) को उनका हक देना, शिच्छा के स्तर को ऊपर उठाना, बिहार में बाहरी उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए एक अच्छा माहौल बनाना, बिजली उत्पादन को बढ़ाना तथा आत्म निर्भर बनना, बिहार के लोगों को रोज़गार धंधे मुहैया करना (ताकि बिहारियों का पलायन रुक सके), उच्च शिच्छा के लिए बिहार में ज्यादा से ज्यादा कालेज एवं यूनिवर्सिटी का खुलवाना ताकि उच्च शिच्छा प्राप्त करने के लिए बिहार से बिहारी लड़कों का पलायन रुक सके।
श्री नितीश कुमार ने पिछले पांच वर्षो में अपने बनाये सभी नीतियों पर पूरी तरह अमल करते हुए एक पिछड़े राज्य को अग्रसर राज्य कि श्रेणी में लाये और बिहार विकाश के राह पर पूरी तरह दौड़ने के लिए तैयार हो गया है। इसीलिए बिहार कि जनता ने भी उम्मीद से ज्यादा जनादेश (विश्वाश) देकर श्री नितीश कुमार के हाथो में बिहार कि बाग डोर थमा दी क्यों कि अपने से ज्यादा उसे नितीश कुमार पर विश्वाश है।
अब मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार अपने गढ़े हुए सपनो का बिहार बनाने के लिए स्वतंत्र है क्यों कि उनके राह में अब विपच्छ भी नहीं है।
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