Wednesday, May 19, 2010

नक्सलवादी








कुछ मुठ्ठी भर लोगो ने अपने स्वार्थ पूर्ति के लिए जंगलो में रहने वाले भोले भाले इंसानों, गांवो में वाश करने वाली गरीब जनता को ये स्वर्थी लोगों ने एक ऐसे रास्ते पर ड़ाल दिया जहाँ से ये चाह कर भी लौट नहीं सकते है इन भोली भाली गरीब जनता का ये स्वार्थी लोगो ने शोषण किया है, जीने कि सब्जबाग दिखाकर मौत के एक ऐसे रास्ते पर ड़ाल दिया है जहाँ से जिन्दा लौटना नामुमकिन है। इन सीधे साधे गरीब जनता का दोष क्या है यही न कि ये लोग पढ़े लिखे नहीं है इन स्वार्थी लोगों के चलाकी भरी बातों को ये सीधे इन्सान समझ नहीं पाते है और इनको यह लगता है कि ये पढ़े लिखे लोग हमारी जिंदगी सँवारने के लिए हमें ये रास्ते बता रहे हैं । यह कैसी विडंवना है कि पढ़ने लिखने के बाद लोग गांवो में जाकर गांव वाशियों का जीवन स्तर सुधारने कि शिक्षा नहीं देते उन्हें यह नहीं समझाते कि तुम पढ़ लिख कर एक अच्छा इन्सान बनो, बल्कि उनके दिलो में ये नफरत के बिज़ बोते है चाहे वो सरकार के प्रति हो या पढ़े लिखे अमीर लोगो के प्रति हो, ये अपने भाषण में आग उगलते है उन भोली भाली गरीब जनता को यह समझाते है कि ये चंद मुठ्ठी भर अमीर लोग तुम्हारा शोषण किये है,तुम्हारे अधिकार को छीन लिए है इसीलिए आज तुम गरीब हो और वो अमीर है, तुम भी अपने अधिकार को उनसे छीनो, और इसी अधिकार को छिनने के लिए उस निरीह गरीब जनता के हाथ में हथियार पकड़ा देते है और ये चालाक लोग जो चाहते है वो गरीब जनता करती है।ये चालाक लोग उस गरीब जनता के प्रति ऐसे कुचक्र रचे है जिसमे जाने के बाद जिन्दा लौटना मुस्किल है। आज सरकार नक्सल वाद समर्थित लोगों का सफाया करने के लिए अभियान चला रक्खी है, क्या इसमें निरीह जनता नहीं मारी जाएगी। नक्सल वादी हमारे देश कि वो गरीब जनता है जिसे चंद लोगों ने अपने स्वार्थ के लिए गुमराह किया है इसलिए मौत कि सजा पाने के वो हकदार नहीं है बल्कि इसके मूल में जाकर उन तत्वों को सरकार खोज निकाले जिन्हों ने इन्हें गुमराह किया है। क्योकि असल मौत कि सजा पाने के हक़दार यही वह चंद चालक लोग हैं

1 comment:

Abhay Kumar said...

kya baat hai papa aap t0o bilkul professional writer ho gaye hai....