आगे-आगे बढ़ते जाओ मंजिल तेरे पास है।।
थकना नहीं न डरना है बस आगे ही बढना है।
आगे बढ़कर लेलो तुम जो तेरा अधिकार है।।
अन्ना कि ललकार पर उमड़ा जन सैलाब है।
अन्ना हजारे के अनशन का आज बारहवा दिन है और वो आज भी उसी मुस्तैदी से खड़े है जैसा कि पहले दिन खड़े थे। भगवन अन्ना के शारीरिक शक्ति को इतनी शक्ति प्रदान करें कि अन्ना जनता कि लड़ाई जीत सके। यह लड़ाई जनता बनाम सांसद हो गई है। हमारे जन प्रतिनिधि संसद में जाकर उसी जनता को भूल गए है जो जनता अपना बहुमूल्य वोट देकर इनको संसद में भेजी है। भारत एक लोकतान्त्रिक देश है और लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि होती है ये हमारे सांसद भली प्रकार समझते है फिर ना जाने कौन सी ऐसी लालच है जो जनता कि आवाज़ ये नहीं सुन पा रहें है। जनता में अशीम शक्ति है लेकिन जनता अपनी शक्ति को नहीं पहचानती है जिसका फायदा जन-प्रतिनिधि उठाते रहते है लेकिन जब जनता जाग जाती है तो फिर कोई ताकत उसको रोक नहीं पाति है। जैसे बाढ़ का पानी, चक्रवात, तूफ़ान, ज्वालामुखी इन सब को रोकना असंभव है उसी प्रकार जन-सैलाब को रोक पाना मुस्किल है जैसे ज्वालामुखी जब तक शांत रहता है तब-तक सब कुछ ठीक-ठाक रहता है लेकिन जब ज्वालामुखी फूटता है तो उसके सैलाब में हर चीज नेस्तनाबूद होते चला जाता है। उसी तरह जन-सैलाब है समय रहते उसकी आवाज़ को पहचान लेनी चाहिए नहीं तो इसके सैलाब में भी सब-कुछ ख़त्म हो जाता है।
यह आन्दोलन अन्ना हजारे ने शुरू तो कि लेकिन अब यह आन्दोलन जनता का आन्दोलन बन गया है और जनता यह समझने लगी है कि अन्ना हजारे उनके लिए अन्न छोड़कर आज बारह दिनों से अनशन पर बैठे है लेकिन संसद में बैठे हमारे सांसद जनता कि भावनाओं को नहीं समझ पा रहें है। अभी तक सब कुछ शांत है लेकिन जैसे ही अन्ना के साथ कुछ होता है तो फिर इस आन्दोलन को रोक पाना मुस्किल हो जायेगा क्यों कि इस आन्दोलन को नेत्रित्व देने वाले सिर्फ अन्ना है और फिर अन्ना विहीन आन्दोलन किस दिशा में जायेगा यह कहना बहुत मुस्किल है क्यों कि भीड़ का न कोई सोंच है ना कोई सक्ल।
भारतीय जनता एक लड़ाई अंग्रेजो से लड़ी तो देश कि आज़ादी हांसिल कि दूसरी जब लड़ाई लड़ी तो कोंग्रेस पार्टी कि सत्ता को पुरे देश से उखाड़ फेकी अब तीसरी लड़ाई वह भ्रष्टाचार से लड़ रही है और इसमें भी जीत जनता कि ही होगी।
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