
हमारे देश के प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह एक कुशल राजनेता के साथ-साथ एक अच्छे विद्वान्, अर्थशास्त्री और विचारक भी है। एक मजे हुए अर्थशास्त्री के रूप में उनकी ज्यादा पहचान है। अपने कुशल और ईमानदार छवि कि वज़ह से सभी राजनैतिक दलों में उनकी अच्छी साख है। लेकिन एक कुशल समाजसेवी नहीं है। वह देश कि अर्थव्यवस्था को ऊँचाइयों पर ले जा तो सकते है जिसका फायदा उद्योगपतियों और कुछ खास मुट्ठी भर लोगो को होगा। क्यों कि वह अर्थशास्त्री है और हर चीज में मुनाफा देखते है क्या देश में बढ़ रही गरीबी और महंगाई में भी मुनाफा ही देख रहे है ? देश कि जनता आज परेशान हाल है सौ रुपये में हम एक झोला सब्जी भी खरीद कर नहीं ला सकते और सरकार कहती है कि बत्तीस रुपया कमाने वाला व्यक्ति अमीर है। जनता के पैसो पर राज करने वाले सत्ता पर आसीन राजनेतावों जनता कि आवाज़ को पहचानो उसकी नब्ज को टटोलो जनता से तुम हो तुमसे जनता नहीं है उसके पैसे को लूटना बंद करो, महंगाई पर अंकुश लगाओ, देश में बढ़ रही मुनाफाखोरी और अराजकता पर रोक लगाओ, उद्योगपतियों पर भी अंकुश लगाओ वह उत्त्पादन पर ज्यादा मुनाफाखोरी ना करे। कही ऐसा ना हो कि जनता ही तुमको लूट ले । क्यों कि भारतीय जनता कि सहनशीलता कि एक सीमा है कही ऐसा ना हो कि अपना खज़ाना भरने के चक्कर में तुम उस सीमा को पार कर जाओ जहाँ भारतीय जनता अपनी सहनशीलता खो दे। फिर क्या हस्र होगा, इतिहास इसका गवाह है।
हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री जिनकी ईमानदारी कि कसमे खाई जा सकती है क्यों कि सभी राजनैतिक पार्टियों के लोग इनको ईमानदार ही कहते है। इन्ही के मंत्रिमंडल में आसीन भूतपूर्व संचार मंत्री ए.राजा ने 2G स्पेक्ट्रम घोटाल इतना बड़ा किया जो अभीतक के घोटालो में सरताज है। यह घोटल एक लाख छिहत्तर हजार करोड़ का है जो देश कि आज़ादी के बाद से अभीतक के घोटालो में सबसे बड़ा घोटाला है। अभी श्री ऐ.राजा तिहाड़ जेल कि शोभा बढ़ा रहे है।
हमारे देश के भूतपूर्व खेल मंत्री श्री सुरेश कलमाड़ी जी कामनवेल्थ खेल में घोटालो का ऐसा खेल खेला जो सत्तर हजार करोड़ का था अब ये तिहाड़ जेल में कोई और खेल खेलने के मनसूबे तैयार कर रहे है।
महारास्ट्र के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री अशोक चौव्हान ने तो वो कारनामे किये जो बे मिसाल है वो कारगिल के शहीदों के लिए बने आवास में ही उलट-फेर कर दिए। यानि कि मुर्दे के शारीर से ही कफ़न छीन लिए। अब ऐसे राजनेताओं से क्या उम्मीद कर सकते है और मनमोहन सिंह को कैसे ईमानदार कहा जा सकता है क्यों कि ये सभी घोटाले उनके नाक के नीचे हुई है।
ये राजनेता किस मिट्टी या धातु के बने है जो कितना भी खा ले है फिर भी पेट नहीं भरता है। इनकी तुलना अगर भिखारियों से कि जाय तो ज्यादा तार्किक लगता है, क्यों कि भिखारियों को आप कितना भी खिला दो लेकिन उनका पेट नहीं भरता, वही हाल हमारे राजनेताओं का है, और ऐसे ही नेता इस देश कि बाग़ डोर सम्हाले बैठे है।
अब हमारे देश कि सीमाएं कितनी चाक चौकस बंद है यह भी देख लीजिये १३ दिसम्बर २००१ को कुछ बन्दुकधारी आतंकवादी हमारे लोकतंत्र कि मंदिर संसद पर हमला कर देते है, गनीमत है कि हमारे सभी सांसद और मंत्री सही सलामत बच जाते है, हाँ कुछ पुलिसकर्मी जख्मी होते है और कुछ कि जान जाती है। इस घटना को अंजाम देने वाला मुज़रिम मिलने के बाद भी अभीतक सरकारी मेहमान बना जेल में रोटियां तोड़ रहा है।
अब भारत कि आर्थिक राजधानी मुंबई पर २६ नवम्बर २००८ को समुन्द्र के रास्ते आतंकवादी आते है और मुंबई महानगरी में AK-47 से निरीह और निहत्थे नागरिको पर गोलियों कि बौछार कर देते है। इस हमले में बहुत से निर्दोष मारे जाते है। क्या हमारी देश कि सीमाएं पूरी तरह चाक चौकस बंद है ? शायद नहीं। ऐसी आतंकवादी घटनाएँ हर साल इस देश में घटती है चाहे वो बम ब्लास्ट हो सीरियल ब्लास्ट हो या गोलियों कि बौछार हो मारे तो निरीह प्राणी ही जाते है। और हमारा देश वैसे आतंकवादियों को पकड़ने के बाद भी सरकारी मेहमान बना कर जेलों में बंद रखती है और उसके हिफाज़त के लिए जनता का करोडो रुपया उस पर खर्च करती है। क्या ऐसे आतंकवादियों को जो सरेआम कत्लेआम किये है क्या इनको भी सरेआम फांसी नहीं दे दी जानी चाहिए ? इनसे सहानभूति कैसी ?
अगर आप इन राजनेताओं से अच्छे कि उम्मीद करते है तो यह आपकी भूल है, यह देश इन मुट्ठी भर राजनेताओं का नहीं है बल्कि यह देश आपका अपना है इसे अच्छा या बुरा बनाना आपके हाथो में है। प्रजातंत्र में जनता अगर खुशहाल है तो देश चहुओर तरक्की करता है अगर जनता दुखी है तो देश पिछड़ता है।
No comments:
Post a Comment