Monday, October 8, 2012

चक्रव्यह में फंसा आम आदमी


महंगाई के चक्रव्यह में आज भारत का आम आदमी फंस कर रह गया है .हमारे देश के माननीय राजनीति के आकाओं देश के महान राजनेताओं, देश के सर्वोच्च पद पर बैठे माननीय मंत्रियों, उधोग जगत के माननीय उधोगपतियों, देश के वुरोक्रेट्सों क्या आप लोगो को यह लगता है की आपलोग इसी दुनियां के है या कोई दूसरी दुनियां से आये हुए लोग है . क्यों की आपलोग भारत के भाग्य विधाता है। आप लोग भी उसी हाड़ मांस से बने हुए लोग है जीस हाड़ मांस से भारत की आम आदमी बनी है। फिर आम आदमी और आप में इतना फर्क क्यों है। आम आदमी अपनी छोटी कमाई में में ही गुज़ारा कर लेता है लेकिन आपलोगों को छोटी कमाई रास नहीं आती इसलिए इतने बड़े-बड़े घोटाले करते है जिसकी कल्पना आम आदमी सपने में भी नहीं कर सकता। लगता है आम आदमी से आपलोगों का पेट बड़ा है इसीलिए बड़े से बड़ा घोटाला कर के भी आपलोग आराम से पचा लेते है और डकार भी नहीं आती, यानि अभी और बड़े-बड़े घोटाला करना बाकि है। क्या यह देश आपलोगों का नहीं है ? क्या भारत की जनता इस देश की नहीं है ? अगर यह देश आपलोगों का है और इस देश में निवास करने वाली जनता इसी देश की है तो फिर इस देश के प्रति आपलोगों का कुछ तो कर्तव्य बनता है या फिर देश के प्रति यहाँ की जनता के प्रति आपलोगों का कोई कर्तव्य ही नहीं बनता। लगता तो यही है की जनता से वोट लेने का बाद आपलोग जनता को ही भूल जाते है। अगर जनता आपको याद रहती तो कम से कम महंगाई बढ़ाते और घोटाले छोटे करते ताकि देश की आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब नहीं होती। लगता तो यही है की इस देश के प्रति आपलोगों के दिल में कोई सहानभूति नहीं है यहाँ की जनता के प्रति कोई हमदर्दी नहीं है। अगर देश के प्रति सहानभूति होती तो आपलोग इतने बड़े घोटाले कर सफ़ेद पैसे को काला नहीं करते। आज सफ़ेद पैसा काला होने के कारण ही आपलोगों को बार-बार महंगाई बढ़ानी पड़ रही है ताकि देश के खजाने में राजस्व आ सके। अगर आपलोग छोटे घोटाले करते तो देश की आर्थिक स्थिति ठीक रहती और आप जो आम आदमी को गैस सिलिंडर , डीज़ल पर जो सब्सिडी देते थे वह आम लोगों को आज भी मिलता रहता। घोटाले तो आपलोग किये लेकिन इसका खामियाजा कौन भुगत रहा है, इस देश की आम जनता ? आपलोगों को मालूम है एक परिवार के लिए आपलोग साल में मात्र छः सिलिंडर दे रहे है, क्या वह एक दिन में मात्र एक ही बार खाना खायेगा, क्यों की अगर दो बार खाना और नास्ता बनता है तो फिर साल में छः सिलिंडर कम पड़ जायेगा बाकि सिलिंडर खरीदने के लिए उसकी जेब ढीली करनी पड़ेगी। अगर मान लीजिये अतिरिक्त सिलिंडर खरीदने के लिए वह सक्षम नहीं है तो क्या करेगा वह आम आदमी ? आपलोग देश के सर्वोच्च पद पर बैठे है जनता के पैसों से ही आपलोगों का गुज़ारा होता है उसी के पैसों पर आपलोग मौज मस्ती करते है विदेश यात्रा करते है, महंगा से महंगा इलाज कराते है इस देश में इलाज न करा कर विदेश में इलाज कराते है। महंगी से महंगी गाड़ियों में सफ़र करते है, मुफ्त में आपलोगों को आवास मिलता है। खाने पीने की हर चीज आपलोगों को मुफ्त में मिलती है। आपलोगों को मालूम है की यह सब भारत के जनता के पैसों से होता है तो फिर उसी जनता को सब्सिडी के रूप में कुछ पैसे लौटते थे  तो जनता पर कोई मेहरबानी तो नहीं करते थे बल्कि जनता आप पर मेहरबानी कर रही है की उसके पैसों पर आप पल रहे है। आप अभी सत्ता में है तो जनता का ख्याल कीजिये क्यों की जनता से आप है आपसे जनता नहीं है।