Tuesday, February 4, 2014

मैं आम आदमी हूँ ...

मै आम आदमी हूँ |
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मै एक आम आदमी हूँ |
मेरी उपस्थिति हर जगह है |
शहर की सडकों से लेकर गाँव की गलियों तक |
भिंड का हिस्सा भी मै ही हूँ |
बसों की भीड़ में ट्रेनों की भीड़ में |
बाज़ार और नेताओं की सभाओं की भीड़ में मै ही हूँ |
मै हर जगह उपस्थित हूँ |
क्यों की मै आम आदमी हूँ |
शहर की बहुमंजिली ईमारतों से लेकर
शहर की गंदी झोपड़पट्टियों तक मै ही हूँ |
मै नेताओं, उद्योगपतियों, आतंकियों और
दंगाईयों की पहली पसंद हूँ |
मै ही बार-बार उनके लक्ष्य का शिकार होता हूँ |
क्यों की मै आम आदमी हूँ |
मै बार-बार उनके दिए हुए प्रलोभन का शिकार होता हूँ |
क्यों की इक्षाएं मेरी बड़ी है और आमद कम |
आतंकियों के लिए मै आसान शिकार हूँ |
क्यों की भीड़ का हिस्सा हूँ मै |
दंगाई बार-बार मुझे ही मारते है |
क्यों की मेरे पास कोई सुरक्षा नहीं है |
क्यों की मै एक आम आदमी हूँ |
मेरे ही पैसों से देश चलता है |
देश की सरकारें चलती है |
मेरे नाम पर बड़ी बड़ी योजनायें बनती है |
लेकिन उस योजनाओं का लाभ |
देश के नेता, उद्योगपति और अधिकारी उठा लेते है |
मेरे हाथ कुछ नहीं लगता |
क्यों की मै एक आम आदमी हूँ |
पता नहीं कब मेरे देश के नेता और अधिकारी |
मेरे दर्द को समझेगें |
कब मुझे सुरक्षा देगें
ताकि इन आतंकियों, नक्सलियों और दंगाईयों से
महफूज़ हो सकूं |